gffgfdg |
काठमांडू/नई दिल्ली. माउंट एवरेस्ट पर फतह के बाद लौटते वक्त रविवार को लापता हुए भारतीय पर्वतारोही रवि कुमार (27) की मौत हो गई। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, रवि करीब 200 मीटर नीचे गिर गए थे। घटना के 36 घंटे बाद रवि की डेड बॉडी रिकवर की जा सकी। इसकी वजह इलाके का खराब मौसम है। बता दें कि रवि के पहले उनके साथ गए एक अमेरिकी पर्वतारोही की भी मौत हो गई थी। नेपाल के अफसरों ने की पुष्टि...
- रवि यूपी के मुरादाबाद के रहने वाले थे। नेपाल के डिपार्टमेंट ऑफ टूरिज्म के डायरेक्टर जनरल दिनेश भट्टराई ने न्यूज एजेंसी से कहा- रवि करीब 8,200 मीटर की ऊंचाई से नीचे गिरे। जहां से वो गिरे उस इलाके के एवरेस्ट बालकनी कहा जाता है।
- भट्टराई के मुताबिक- एवरेस्ट पर तैनात हमारे लाइजिन अफसर ने बताया कि रवि बालकनी से करीब 150 से 200 मीटर तक नीचे गिरे। बालकनी लौटते वक्त माउंटेन का आखिरी रेस्टिंग स्पॉट है। इसके साथ ही पिछले दिनों इस इलाके में मारे गए क्लाम्बर्स की तादाद पांच हो गई है।
- कमार शनिवार दोपहर 1.28 बजे 8,848 मीटर ऊंची माउंट एवरेस्ट को फतह करने में कामयाब हो गए थे। रवि के क्लाइंबिंग गाइड लाकपा वोंग्या शेरपा भी बेहोश पाए गए। लौटते वक्त शेरपा और रवि बिछड़ गे थे।
कम होती है ऑक्सीजन
- एक ट्रेकिंग कंपनी के मुरारी शर्मा ने बताया, "अमेरिकी सिटिजन रोनाल्ड इयरवुड की मौत एवरेस्ट पर चढ़ाई के दौरान 27 हजार 500 फीट की ऊंचाई पर हो गई। इस इलाके में ऑक्सीजन बहुत कम होती है। इसे 'डेथ जोन' के नाम जाना जाता है। नाल्ड अमेरिकी पर्वतरोही डैन मजुर की 16 सदस्यी टीम का मेंबर थे।"
- 1953 में पहली बार माउंट एवरेस्ट फतह की कोशिश हुई थी। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, तब से अब तक करीब 300 लोगों ने इस कवायद में जान गंवाई है। माना जाता है कि कम से कम 200 डेड बॉडीज अब भी माउंटेन के बर्फीले हिस्सों में दबी हुई हैं।
मधुसूदन पाटीदार नॉर्थ ट्रैक से चढ़ाई करने वाले देश के सबसे कम उम्र के पर्वतारोही बने
- 21 साल के मधुसूदन पाटीदार को इस मिशन के लिए 35 लाख रुपए अरेंज करने थे। इसके लिए उन्होंने इंदौर का अपना मकान बेचा और 17 लाख रुपए जुटाए। बाकी पैसों के लिए उनकी मां ने अपने गहने भी बेच दिए। गुजरात में रहने वाली बहन ने भी मदद की।
- इतनी कोशिशों के बाद भी जब पैसे पूरे नहीं हुए तो दोस्तों और पड़ोसियों ने उनके जज्बे को देखते हुए रकम जुटाई।
- मधुसूदन के दोस्त शिवा डिंगू ने बताया कि उसके पापा साधारण-सी नौकरी (मोटरबाइंडिंग) करते हैं। उनकी सादगी इस कदर है कि बेटा माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई के लिए जा रहा था और वे नौकरी कर रहे थे। एयरपोर्ट पर छोड़ने के लिए दोस्त ही गए थे। (पूरी खबर यहां पढ़ें)
- इतनी कोशिशों के बाद भी जब पैसे पूरे नहीं हुए तो दोस्तों और पड़ोसियों ने उनके जज्बे को देखते हुए रकम जुटाई।
- मधुसूदन के दोस्त शिवा डिंगू ने बताया कि उसके पापा साधारण-सी नौकरी (मोटरबाइंडिंग) करते हैं। उनकी सादगी इस कदर है कि बेटा माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई के लिए जा रहा था और वे नौकरी कर रहे थे। एयरपोर्ट पर छोड़ने के लिए दोस्त ही गए थे। (पूरी खबर यहां पढ़ें)
No comments:
Post a Comment