निकाहनामे में तीन तलाक नहीं लेने की शर्त जुड़वा सकेंगे दूल्हा-दुल्हन: मुस्लिम बोर्ड - biharhunt

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Tuesday 23 May 2017

निकाहनामे में तीन तलाक नहीं लेने की शर्त जुड़वा सकेंगे दूल्हा-दुल्हन: मुस्लिम बोर्ड

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नई दिल्ली. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविट फाइल किया। इसमें कहा गया है कितीन तलाक लेने वालों का सोशल बायकॉट किया जाएगा। ताकि ऐसी घटनाओं में कमी लाई जा सके। पति-पत्नी के बीच तकरार के हालात के लिए एक गाइडलाइन जारी की गई है। बोर्ड काजियों को भी एडवायजरी जारी करेगा। इसमें कहा जाएगा कि वो दूल्हा-दुल्हन को निकाहनामे में शर्त जुड़वाने की सलाह दें कि वो तीन तलाक नहीं लेंगे। बता दें कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई पूरी कर ली गई थी। कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। एफिडेविट में यह दी गई गाइडलाइन...
1) अगर पति-पत्नी के बीच मतभेद हैं तो वो सबसे पहले शरियत के उसूलों का ध्यान रखते हुए आपसी सहमति से सुलह की काेशिश करें। इसमें एक-दूसरे की गलतियों को अनदेखा करने की कोशिश करें।
2)अगर विवाद आपसी सहमति से नहीं सुलझता और मनचाहा नतीजा नहीं निकलता तो अस्थायी अलगाव हो सकता है।
3) शुरुआती दोनों कोशिशें नाकाम रहीं तो दोनों परिवारों के बड़े-बुजुर्ग इसे सुलझाने की कोशिश करेंगे या फिर मतभेद दूर करने के लिए दोनों पक्षों से एक-एक नुमाइंदा तय किया जाएगा।
तब कहा जाएगा पहला तलाक
- एफिडेविट में यह भी कहा गया है कि तमाम कोशिशों के बाद भी अगर विवाद बरकरार रहता है तो पत्नी से पहला तलाक कहा जाएगा। इसके बाद तय वक्त (इद्दत) तक इंतजार किया जाएगा। इस दौरान अगर हालात सुधर गए, तो पति-पत्नी जीवनसाथी के रूप में रह सकते हैं। ऐसा नहीं होता तो इंतजार का वक्त खत्म होने पर शादी अपने आप खत्म हो जाएगी और दोनों अलग-अलग नई जिंदगी शुरू कर सकते हैं। अगर इद्दत के दौरान पत्नी प्रेग्नेंट हो तो इसे डिलीवरी होने तक बढ़ाया जाएगा। इस दौरान पत्नी का पूरा खर्च पति को उठाना होगा।
दूसरा तरीका यह बताया
- बोर्ड ने रिश्ता खत्म करने का दूसरा तरीका भी बताया है। इसमें कहा गया है कि पति पहला तलाक कहे। इसके दो महीने बाद वह दूसरी बार तलाक बोले और तीसरे महीने में तीसरा तलाक कहे। लेकिन तीसरे तलाक से पहले दोनों में सुलह हो जाए तो वो पति-पत्नी की तरह रह सकते हैं। अगर पत्नी पति के साथ नहीं रहना चाहती तो वह खुला के जरिए रिश्ता खत्म कर सकती है।
लोगों को अवेयर करेगा बोर्ड
- एफिडेविट में बोर्ड ने यह भी कहा है कि वह अपनी वेबसाइट, इश्तेहारों और सोशल मीडिया के जरिए लोगों को एडवाइजरी जारी करेगा और तीन तलाक के खिलाफ उन्हें अवेयर करेगा।
क्या है मामला?
- देश में कई मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक का विरोध करती रही हैं। मुस्लिम महिलाओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट में 7 पिटीशन्स दायर की गईं। इनमें दावा किया गया है कि तीन तलाक अनकॉन्स्टिट्यूशनल है।
- इन पिटीशंस पर 11 मई से सुनवाई शुरू हुई थी। छह दिन की दलीलों और जिरह के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है।
- इस केस में केंद्र सरकार, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत-ए-इस्लामी हिंद और मुस्लिम स्कॉलर्स पक्षकार हैं।
- केंद्र सरकार इसे ह्यूमन राइट्स से जुड़ा मुद्दा बताती है। वह इसके सख्त खिलाफ है। मुस्लिम स्कॉलर्स का कहना है कि कुरान में तीन तलाक का जिक्र नहीं है।
- पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत-ए-इस्लामी हिंद इसे मजहबी और आस्था का मसला बताते रहे हैं।

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